Sunday, 20 October 2019

ए मोहब्बत !


ए मोहब्बत !

ए मोहब्बत तू सदा 
बस इश्क़ के साथ रहे !
एक यही आरज़ू है सारे 
के सारे आशिक़ों की !
दिन हो या रात तू बस 
उसके ही साथ रहे !
वो तेरे संग संग चले 
वो तेरा ही हमसफ़र रहे !
ना तेरे बिना दिन ही ढले  
ना तेरे बिना रात ही हो ! 
तू बन कर उसकी ज़िन्दगी  
सदा इश्क़ के ही साथ रहे !
यही एक दुआ है सारे 
के सारे आशिक़ों की !
बस ये एक दुआ तुम 
दोनों के साथ सदा रहे !     
ए मोहब्बत तू सदा 
बस इश्क़ के साथ रहे !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !