महकती भावनाएं !
ये भावनाएँ जो
उभरती है
और जो आगे भी
उभरेंगी
वो सिर्फ होंगी एक
तुम्हारे लिए
चाहे वो हो सूरज में
झुलसती हुई
या फिर हो बर्फ में
पघलती हुई
या फिर वो हो
झमाझम बरसात में
भीगती हुई
पर ये मेरी भावनाएं
सदा ही रहेंगी तुम्हारी
बाहों के लंगर में
समाती हुई
और अपनी सौंधी
सौंधी खुशबु से तुम्हें
महकाती हुई !
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