रूह कुंदन !
चलो सोहबत मोहब्बत
की कर के देखते है;
तरुणाई उसके साथ
बिताकर देखते है;
दिल ने बड़ी तसल्ली
रख कर भी देख ली;
चलो दिल को थोड़ा
और बैचैन कर के
देखते है;
जिस्म को सौ बार
जला कर देखा है;
वो तो मिटटी का
मिटटी ही रहता है;
चलो एक बार इस
रूह को जला कर
देखते है;
सुना है ये जलकर
कुंदन हो जाती है;
चलो सोहबत मोहब्बत
की कर के देखते है !
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