चले आओ तुम
मेरे इन आखरों को छू कर
मुझे फिर से जिन्दा कर दो
चले आओ तुम
मुझमे भर कर अपनी
महकती सांसें चहकती आहें
मुझे फिर से जिन्दा कर दो
चले आओ तुम
मेरी सिलवटों को छू कर
मिला दो इसमें अपनी
तमाम सिलवटें और
मुझे फिर से जिन्दा कर दो
चले आओ तुम
मेरे हिस्से की धुप को छू कर
उतार दो मेरे आँचल में और
मुझे फिर से जिन्दा कर दो
चले आओ तुम
मेरे वज़ूद की सहर को छू कर
इसमें अपनी खुशबू उतार कर
मुझे फिर से जिन्दा कर दो
चले आओ तुम
मेरे जिस्म की मिटटी को छू कर
उतार दो उसमे अपने पोरों का सुकूं
और मुझे फिर से जिन्दा कर दो
चले आओ तुम !
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