Wednesday, 2 October 2019

मिलन !


मिलन !

मोहब्बत हंस रही है 
इश्क़ झूम रहा है 
मरुत गमक रही है 
वह्नि जाग रही है 
नीर गा रहा है 
नभ दमक रहा है 
जन्मों पहले बिछुड़े 
मोहब्बत और इश्क़   
आज यहाँ आकर 
मिल रहे है तो  
प्रकृति भी जैसे 
उत्सव मना रही है !

No comments:

प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !