Monday, 14 October 2019

दिल !


चुपचाप बहलता है दिल 
तुम भी तो समझो जरा ;
किस मर्ज़ को कहते है इश्क़   
तुम भी तो समझो जरा !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !