चाहती हु तेरे प्यार में फनाह होना
मैं कहा अभी नहीं थोड़ा रुको और
अपनी रातें बिताओ दिन सरीखी
दिन में देखो वो सारे ख्वाब जो मैंने बो दिए थे
तुम्हारी इन कजरारी आँखों में और
फिर करो मिन्नतें मुझसे मिलने की
ठीक वैसे ही जैसे मैं करता था तुमसे
और मैं गिनाऊ तुम्हे तुम जैसी ही
अनगिनत मज़बूरियां और तुम बिना
नाराज़ हुए समझो मेरी सारी मज़बूरियां
और जब फुर्सत मिले मुझे उस वक़्त तक
गर कुछ टुटा हो अंदर तुम्हारे उसे जोड़ो
और उन फुर्सत के छनो में आकर मिलो
तुम मुझसे जैसे कुछ हुआ ही ना हो
और इस तरह गुजारो अपने पांच
बसंत बचे यौवन के फिर गर कुछ बचे
प्रेम मेरे लिए तुम्हारे अंदर तो वादा
रहा आना पास मेरे दोनों होंगे हम
एक दूजे के प्यार में फनाह
मैं कहा अभी नहीं थोड़ा रुको और
अपनी रातें बिताओ दिन सरीखी
दिन में देखो वो सारे ख्वाब जो मैंने बो दिए थे
तुम्हारी इन कजरारी आँखों में और
फिर करो मिन्नतें मुझसे मिलने की
ठीक वैसे ही जैसे मैं करता था तुमसे
और मैं गिनाऊ तुम्हे तुम जैसी ही
अनगिनत मज़बूरियां और तुम बिना
नाराज़ हुए समझो मेरी सारी मज़बूरियां
और जब फुर्सत मिले मुझे उस वक़्त तक
गर कुछ टुटा हो अंदर तुम्हारे उसे जोड़ो
और उन फुर्सत के छनो में आकर मिलो
तुम मुझसे जैसे कुछ हुआ ही ना हो
और इस तरह गुजारो अपने पांच
बसंत बचे यौवन के फिर गर कुछ बचे
प्रेम मेरे लिए तुम्हारे अंदर तो वादा
रहा आना पास मेरे दोनों होंगे हम
एक दूजे के प्यार में फनाह
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