अमृत बरसाते चाँद
को देख मेरी रूह भी
पुकारने लगती है तुम्हे
सुनो प्रिये कंहा हो तुम
आओ पास मेरे देखो
चाँद कैसे बरसा रहा है
अमृत अपनी धरा पर
सुन रही हो मुझे तुम
बोलो सुनो ना बोलो
कुछ तो बोलो कंहा हो
सुन पा रही हो मुझे
उसकी आवाज़ की
अधीरता को पहचान
मैं भी देने लगता हु
साथ उसके आवाज़ तुम्हे
पर तुमने शायद खड़ी
कर रखी है ऊँची ऊँची
दूरियों की दीवारें हम दोनों
के बीच तभी तो हमारी
दी हुई आवाज़ें टकराकर
उनसे बेरंग लौट आती है
मुझ तक और मुझे निरुत्तर
देख रूह चल पड़ती है
अकेली विरक्ति की राह पर
बोलो कैसे रोकू उसे मैं
उस राह पर जाने से ?
को देख मेरी रूह भी
पुकारने लगती है तुम्हे
सुनो प्रिये कंहा हो तुम
आओ पास मेरे देखो
चाँद कैसे बरसा रहा है
अमृत अपनी धरा पर
सुन रही हो मुझे तुम
बोलो सुनो ना बोलो
कुछ तो बोलो कंहा हो
सुन पा रही हो मुझे
उसकी आवाज़ की
अधीरता को पहचान
मैं भी देने लगता हु
साथ उसके आवाज़ तुम्हे
पर तुमने शायद खड़ी
कर रखी है ऊँची ऊँची
दूरियों की दीवारें हम दोनों
के बीच तभी तो हमारी
दी हुई आवाज़ें टकराकर
उनसे बेरंग लौट आती है
मुझ तक और मुझे निरुत्तर
देख रूह चल पड़ती है
अकेली विरक्ति की राह पर
बोलो कैसे रोकू उसे मैं
उस राह पर जाने से ?
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