Wednesday, 28 March 2018

तुम्हारी सहेली नींदिया

जिंदगी
हाँ मुझे पता है
जिस दिन मैं
तुमसे दूर जाऊंगा
बस उस एक दिन
तुम्हें नींद नहीं आएगी
बस एक दिन हां बस एक दिन
तुम करवटों और कराहों में
वो एक रात गुजारोगी
पर अगले ही दिन तुम
अपनी नित्य दिनचर्या में
लौट जाओगी और
देखो ना आज ग्यारह ही
बजे थे कि तुम अपनी प्रिय
सहेली नींदिया को अपनी
गोलाकार बाहों में समेट
उसका सानिध्य पा चुकी हो
क्योंकि तुम्हें सिर्फ मुझसे लगाव था
प्रेम तो मैने किया है और कहा भी
कई बार कि मैं यूं ही अनवरत करता रहूंगा
तुम्हें प्रेम और लिखता रहूंगा तुम्हें
क्योंकि मैने अपने प्रेम का नामकरण किया था "जिंदगी"

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !