मेरे हृदयतल में बीज तुम्हारे बोये हुए होते
तुम मेरी वो आस थीजिसके ऊपर टिकी थी
मेरी ज़िन्दगी की डोर
मेरे सारे सपनो मेरी
सारी उमीदों की साँस
सब जानते हुए भी
तुमने आखिर तोड़ ही
दी मेरी आशाएं फिर भी
मैं पागल सोच रही हु
कहु तुमसे क्या तुम
एक बार फिर से करोगे
वादा क्या तुम फिर से
जोड़ पाओगे मेरी उम्मीदों
की सांसें ये पागलपन
नहीं तो क्या है बोलो?
गर तुम रखते माद्दा
मेरे "जामीन " होने का
तो ये जो उम्मीदों के बीज
मैं खुद बो रही हु अपने
बंज़र हुए हृदयतल में
वो बीज तुम्हारे बोये हुए होते
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