Saturday, 10 March 2018

यौवन बुनना चाहता है कुछ ख्वाब

कुछ ख्वाब बुनना 
चाहता है ये यौवन 
अपने कल के लिए 
जिसके सहारे कट जायेगा   
यौवन दोनों का तमाम 
क्योकि जब ज़िन्दगी की 
दौड़ की स्पर्धा में खड़े होंगे 
हम-तुम और ये उम्र हमदोनो की 
तो तुम नहीं दौड़ पाओगी हम 
दोनों के साथ-साथ और फिर 
तुम रह जाओगी दौड़ की स्पर्धा में
बहुत पीछे हम दोनों से और उम्र 
ले जाएगी मेरा हाथ पकड़ अपने साथ 
तुमसे बहुत दूर फिर ना कहना मुझे 
"राम" तुम मुझे यु छोड़ कर अकेली 
किन्यु इतनी दूर चले गए इसलिए 
कह रहा हु चलो बुन लेने देते है 
इस यौवन को कुछ ख्वाब आज  
जिसके सहारे कट जायेगा   
यौवन दोनों का तमाम 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !