Sunday, 4 March 2018

मधुमास की संपूर्ण एकाकी रात

मधुमास की संपूर्ण एकाकी रात में 
तारों की आँखों में जो झिलमिलाहट देखा करता था 
मैं अकेला तो सोचा करता था काश मुझे भी 
साथ मिले ऐसी ही टिमटिमाती दो आँखों वाली का 
और फिर एक दिन अचानक मेरे धैर्य की दीवार ने 
लाँघ कर तुम्हारी देहरी को छू लिया था तुम्हे 
उस दिन वही तारों वाली टिमटिमाहट तो देखी थी 
मैंने तुम्हारी आँखों में और उसी पल दे दिया था 
अपना दिल तुम्हारी झिलमिलाहट भरी आँखों को 
और देखने लगा था एक ख्वाब की एक दिन 
मधुमास की संपूर्ण एकाकी रात में इन तुम्हारी 
आँखों को दिखा कर बोलूंगा उन सितारों को की देखो 
तुम जो चिढ़ाते थे मुझे अपनी आँखों की झिलमिलाहट 
दिखा दिखा कर आज देखो मैंने भी पा लिया है 
साथ तुमसे ज्यादा झिलमिलाहट भरी दो आँखों वाली का 
लेकिन सुनो वो ख्वाब मेरा ज़िन्दगी के चालीस बसंत देखकर भी 
अब तक कुंवारा है याद रखना कंही मेरे जीवन के सभी बसंत बीत ना जाये 
  

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !