तुम्हारी तृप्ति मेरी
अभिव्यक्ति में छुपी है और
मेरी तृप्ति तुम्हारे सानिध्य में
तुम्हे तुम्हारी तृप्ति
सुबह उठते ही मिल जाती है
मेरी तृप्ति रातों में
तड़प-तड़प कर जगती है
तुम्हे तृप्ति मेरी
महसूसियत से मिलती है
मेरी तृप्ति तुम्हारे पीछे-पीछे
दौड़ती भागती बैरंग लौट आती है
तुम्हारी तृप्ति तुम्हारे चारों ओर
फैले शोर के निचे दब जाती है
मेरी तृप्ति तुम्हारी दहलीज़ पर
तुम्हारा दरवाज़ा खटखटाती है
लेकिन मैंने तो सुना है
तृप्ति तो तृप्ति होती है
फिर किन्यु तुम्हारी तृप्ति
और मेरी तृप्ति अलग अलग
जान पड़ती है क्या तुमने अपनी
तृप्ति को ऊपर से एक
आवरण पहना रखा है क्या?
अभिव्यक्ति में छुपी है और
मेरी तृप्ति तुम्हारे सानिध्य में
तुम्हे तुम्हारी तृप्ति
सुबह उठते ही मिल जाती है
मेरी तृप्ति रातों में
तड़प-तड़प कर जगती है
तुम्हे तृप्ति मेरी
महसूसियत से मिलती है
मेरी तृप्ति तुम्हारे पीछे-पीछे
दौड़ती भागती बैरंग लौट आती है
तुम्हारी तृप्ति तुम्हारे चारों ओर
फैले शोर के निचे दब जाती है
मेरी तृप्ति तुम्हारी दहलीज़ पर
तुम्हारा दरवाज़ा खटखटाती है
लेकिन मैंने तो सुना है
तृप्ति तो तृप्ति होती है
फिर किन्यु तुम्हारी तृप्ति
और मेरी तृप्ति अलग अलग
जान पड़ती है क्या तुमने अपनी
तृप्ति को ऊपर से एक
आवरण पहना रखा है क्या?
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