Sunday, 22 July 2018

मेरी चाहत है

मेरी चाहत है ➖➖➖➖➖


 चाहत है 

तुम्हारी बाँहों की गोलाईयों में सोते हुए ज़िन्दगी के दिए
तमाम दर्दों से निज़ाद पाने की;
मेरी चाहत है
मौत की घनी ख़ामोशी को भी 
तुम्हारे ऊपर लिखी तमाम
कवितायेँ सुनाने की ; 
मेरी चाहत है
तुम्हारी इन्ही गोद में सोकर 
उस छोटे से राम को एक बार 
फिर से जीते हुए देखने की 
मेरी चाहत है
तुम्हे उस माँ के सामने गले 
लगाने की जिनके लिए तुम 
आज तक नहीं निभा पायी हो 
अपने वो वादे जो तुमने किये थे
मुझसे अपने प्रेम की दुहाई देते हुए;
मेरी चाहत है
बस सिर्फ चाहत है और ये तो तुम्हे
भी पता है चाहतें पूरी हो ये भी तो 
कोई जरुरी नहीं और वैसे भी ये मेरी 
अकेले की चाहत है तुम्हारी तो नहीं !

No comments:

प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !