Saturday, 28 July 2018

तुम्हे मेरी याद नहीं आती !

तुम्हे मेरी याद नहीं आती !
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सुनो .... 
मुझे तो हर पल बस  
तुम्हारी याद आती है; 
मेरी ही साँसों के चलने पर 
मेरे ही दिल के मचलने पर
मेरे ही आंगन में बेमौसम 
बारिश के बरसने पर
मेरी ही छत के आकाश 
पर चंदा के चमकने पर 
तो कभी मेरी ही आँखों 
के सामने सूरज के ढलने पर 
तो कभी शब के अंधेरों पर
कभी दिन के सवेरों पर
कभी लोगो के मेले पर
कभी तन्हा अकेले होने पर
तुम्हारी बस तुम्हारी 
याद आती है और तब 
मैं बैचैन हो तुम्हे पुकारता हु 
तुम ये बताओ इतना सब 
होते हुए देखने पर भी क्या 
तुम्हे मेरी याद नहीं आती !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !