Sunday, 1 July 2018

गुस्ताखी

गुस्ताखी
गुस्ताखी तो देखो मेरे दिल की 
चाहता है रहना सदा साथ उसके 
जो मुझे सिर्फ अंधेरो में मिलना चाहती है ;

गुस्ताखी तो देखो मेरे दिल की
चाहता है रहना सदा साथ उसके
उसके होंठो पर मुस्कान बनकर 
जो हंसती है अपना दरवाज़ा बंद कर;

गुस्ताखी तो देखो मेरे दिल की 
चाहता है रहना सदा साथ उसके
बनकर सुरीला संगीत उसके कानो में
जो प्रायः संगीत को आँखों से सुनती है ;

गुस्ताखी तो देखो मेरे दिल की 
चाहता है रहना सदा साथ उसके
बनकर यौवन की मदहोश खुश्बू उसके नथुनों में 
जो अक्सर महंगी खुश्बूं लगा कर निकलती है ;

गुस्ताखी तो देखो मेरे दिल की 
चाहता है रहना सदा साथ उसके
कंठ में कोयल की सुरीली आवाज़ बनकर 
जो अक्सर गुमसुम रहना पसंद करती है ;

गुस्ताखी तो देखो मेरे दिल की 
चाहता है रहना सदा साथ उसके
हृदय में अप्रीतम चाहत बनकर 
जो चंद जिम्मेदारिओं के अलावा 
कुछ और रखना ही नहीं चाहती अपने दिल में ;

गुस्ताखी तो देखो मेरे दिल की 
चाहता है रहना सदा साथ उसके
बनकर सिन्दूर उसकी मांग का 
जो अक्सर बिना सिन्दूर रहना पसंद करती है ! 

गुस्ताखी तो देखो मेरे दिल की  
चाहता है रहना सदा साथ उसके
जिसे अपने अलावा किसी का साथ पसंद नहीं अब ! 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !