Tuesday, 3 July 2018

दूर जाने के बाद



     दूर जाने के बाद
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मेरे कहे एक एक शब्द  
को तुमने रख तो दिए 
किसी पुरानी सी दराज़ में  
छुपाकर हर किसी से जैसे 
किसी मृत शरीर से उतार 
कर रख देते है हम उसके 
गहने तिजोरी में संभाल कर
ताकि सिर्फ जरुरत के समय 
वो काम आ सके पर ना याद 
आ सके वो वक़्त-बे-वक़्त   
मुझे नहीं आता ये तरीका 
किसी की याद को आने से 
रोकने का पर जब कभी 
जरुरत होगी तुम्हे अपने 
अकेलेपन को दूर करने की 
तब खोलोगी तुम उस दराज़ 
को अकेले बैठकर जैसे अभी 
फुर्सत के पलो में आ बैठती हो
पास मेरे अपना समय बिताने 
और ये जताने की तुम मेरी 
कितनी करती हो परवाह 
पर सुनो मेरे वो शब्द तब भी  
तुम्हे अपने सामने पाते ही 
मेरी तरह फिर एक बार 
कहेंगे तुम्हे की वो तुम्हे 
अब भी बेइंतेहा मोहोब्बत 
करता है दूर जाने के बाद भी ! 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !