Monday 16 July 2018

आँखों का दिव्यांग



आँखों का दिव्यांग
➖➖➖➖➖➖➖
बड़े-बड़े कवियों और
शायरों को कहते सुना 
की प्रेम इंसान को आँखों से कर देता है दिव्यांग ;
तो कोई मुझे ये समझाओ 
की प्रेम में पड़े इंसान को 
इंद्रधनुष के सातों रंग कैसे 
दिख जाते है;गर वो प्रेम में पड़ हो चूका या चुकी होती है 
आँखों से दिव्यांग ;गर कोई
आज नहीं समझा सका मुझे
तो फिर कम से कम मेरी ये
कविता पढ़ने वालो तुम आज से 
ये ना मानना की प्रेम में पड़ कोई
भी इंसान हो जाता है आँखों से दिव्यांग
बल्कि आज से ये मन्ना की ये दुनिया 
जब प्रेम में पड़े उस इंसान को देखती है 
करते नज़र अंदाज़ सभी बहुमूल्य चीज़ों को 
या सबसे सुन्दर चीज़ों को या सबसे कीमती 
समय को तब उन्हें लगता है ऐसा तो कोई 
आँखों का दिव्यांग ही कर सकता है पर 
प्रेम में पड़ चुके इंसान के लिए उस प्रेम 
के अलावा हर चीज़ हो जाती है नगण्य 

No comments:

प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !