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जन्म से लेकर मृत्यु
के बीच की जो खाली
जगह है इसको भरने
में किसी को लगते है
साठ सत्तर अस्सी नब्बे सौ
और किसी किसी को सवा सौ
साल पर एक प्रेम में पागल
प्रेमी सदा
उस खाली जगह को एक
उस पल में भर देना चाहता है
जिस पल उसका दिल करता है
इंकार उसी की बात मानने से
उस वक़्त जब उसे एहसास
होता है की वो दिल अब
उसका ना रहा उसी पल
वो एक पतंगे के माफिक
अपनी शमा पर खुद को
कर फ़ना भर देना चाहता है
उस जन्म से मृत्यु के बीच की
खाली जगह को एक सिर्फ
उसी का नाम लिख कर
जिसके कहे में आकर उसका
दिल उसी की कही बात
मानने से करता है इंकार !
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