आश्रय
------------------------
क्यों प्रेम को मिलता है
आश्रय अक्सर दहकते
हुए अंगारों के बीच ?
क्यों इसका अर्थ अक्सर
भटकता रहता है निर्जन
वनों में और एक दिन थक
हार कर ठहर जाता है
उस एक जगह जंहा हम
उसे कह कर जाते है रुकना
थोड़ी देर तुम यंहा मैं आता हु
और वो भूल कर हर लम्हे
में बीतती अपनी उम्र को बस
करता है इंतज़ार हमारे लौट
आने का वंही बैठ कर जंहा
हम उसे कहकर जाते है
रुकना थोड़ी देर तुम यंहा
मैं आता हु;इतने समर्पण
के बाद भी क्यों नहीं मिलता
प्रेम को आश्रय सकून की
पनाहो में और क्यों इसके
अर्थ को नहीं मिलता एक
मुकम्मल बागबान ?
No comments:
Post a Comment