घर की दहलीज़
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अब तक तो अपनी स्मृतियों में ले ही जाता आया हु
मैं तुम्हे अपने साथ अपने घर
इस विश्वास के साथ की
एक दिन तुम्हे जब याद हो जायेगा
मेरे घर का ये रास्ता
उस दिन तुम स्वयं आओगी
साथ लेकर अपनी आँखों में वही चमक
जिस चमक के साथ दिया था
तुमने अपना हाथ मेरे हाथो में इस वचन के साथ की आने वाले
हर पुनर्जन्म तुम ही बनोगी
मेरी जीवन संगिनी और मुझे मानोगी
इस काबिल की मैं तुम्हारे अपनेपन के
अंतरंग स्पर्श के चिन्हो को
तरुणाई के साथ रख सकूंगा
सदा-सदा के लिए अपने घर की दहलीज़
ही नहीं बल्कि अपने ह्रदय के अंदर !
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