प्रेम आंकलन नहीं करता
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प्रेम का जीवन में प्रकट होना आसान
हो भी सकता है पर
उस प्रेम को जीवन
में थामे रखना उतना
ही मुश्किल क्योंकि जब
प्रश्न उठते है उस प्रेम पर
तब अक्सर लोग उससे
होने वाले फायदे और
नुकसान का आंकलन
करने लग जाते है और
यही आंकलन अक्सर
लोगों को कहता है अपने
पांव पीछे खींचने को
जबकि इतिहास गवाह है
प्रेम को आता ही नहीं आंकलन करना प्रेम तो
उन खड़े हुए प्रश्न का जवाब
स्वयं देता है बिना कुछ सोचे
उसी दृढ़ता से जिस दृढ़ता से
उसने किया होता है स्वीकार
अपने प्रकट हुए प्रेम को !
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