प्रीत का धागा
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मुझे सिर्फ इतना बता
दे तू की मेरी प्रीत का
धागा ना जाने कितनी
ही मौतों से लड़कर भी
तुझसे लिपटा रहता है
और मेरे अस्तित्व का
छोटा सा हिस्सा उस
मंदिर में जलती "धुप"
की तरह स्नेह:स्नेह:
जलता रहता है और
उसी मंदिर में रखी
पत्थर की देवी की
मूर्ति के समान तुम
ये सब चुपचाप होते
देखती रहती हो जैसे
उस जन्म का बदला
इस जन्म में ले रही हो
जैसे "राम" ने अहिल्या
को छूने में लगा दिए थे
कई वर्ष ठीक वैसे ही तुम
इस जन्म में इस "राम" को
रखना चाहती हो उतने ही
वर्ष खुद से दूर ?
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