Friday, 6 July 2018

किसका प्रेम श्रेष्ठ है




किसका प्रेम श्रेष्ठ है
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तुम ये बताओ मुझे की 
जो प्रेम तुम देती हो मुझे
वो प्रेम तुम्हारा प्रेम है या
जो प्रेम देता हु मैं तुम्हे वो
ही प्रेम तुम लौटा देती हो मुझे 
क्योकि अगर मेरा ही दिया 
प्रेम तुम मुझे लौटती हो तो
मेरे ही प्रेम में कमी है कोई 
और अगर तुम मुझे अपना 
प्रेम देती हो तो फिर प्रेम के
बारे आज तक जितना कुछ 
लिखा पढ़ा और सुना है मैंने
आज वो सब ना जाने क्यों 
झूठा सा प्रतीत होने लगा है 
की स्त्री का प्रेम पुरुष के प्रेम से 
श्रेष्ठ होता है ठीक वैसे ही जैसे 
स्त्री हर मायने में होती है श्रेष्ठ 
फिर बताओ क्यों मैं तुम्हारे 
बिना रातों को सो नहीं पाता
तुम्हारे बिना क्यों मेरे दिन  
वीरान से होते है और तुम्हारे
बिना क्यों मेरी धड़कने भी 
अपनी स्वाभाविक गति नहीं पाती 
और क्यों तुम्हारी घडी की सुई 
मेरे बिना टिक-टिक कर अपना 
समय चक्र पूरा कर लेती है 
तुम ये बताओ मुझे की  ?

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !