Saturday 30 June 2018

शब्द रेखा बन जाए




शब्द रेखा बन जाए 

---------------------

तुम्हारी सांसो ने 
मेरे कहे एक-एक 
शब्दों में वो ऊष्मा 
भर दी जिससे वो  
शब्द जाने कब  
अमर हो गए पाकर 
तुम्हारी सांसों की ऊष्मा
वो तो वही शब्द थे जो 
मुझे सबसे प्रिय थे 
अब मैं उन शब्दों को 
घिस रहा हु अपनी 
दोनों हथेलीओं पर 
और तब तक घिसता 
रहूँगा उन्हें जब तक 
की वो मेरी दाहिनी हथेली पर
तुम्हारी नाम की चमकती रेखा 
बनकर ना उभर उठे !

No comments:

प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !