Sunday 3 June 2018

प्रेम की शुरुआत



पहली मुलाकात
तेरे मेरे प्रेम की शुरुआत
आँखों में बुनते ख़्वाब
तेरे हाथों में मेरा हाथ
हौले से तेरा मुस्कुराना
शर्म से आँखों को झुकना
फिर लम्बी होती सांसे
और जुबाँ होती खामोश
ना तेरे लबों पे लफ़्ज
ना मेरे लबों पर लफ़्ज
बस दिलों का आलिंगन
और मोहब्बत में डूबे दो दिल.. 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !