Wednesday 6 June 2018

तुम्हारा प्रेम पाना चाहता हु



तुम्हारा प्रेम  पाना चाहता हु
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मैंने कभी नहीं चाहा
पाना प्रेम सभी का ;
मैंने तो चाहा भी
और माँगा भी सिर्फ
"तुम" मुझे प्रेम करो
और करे उतना ही प्रेम
मुझे तुम्हारी संतति भी
मैं चाहता हु प्रेम देना भी
सिर्फ एक तुम्हे और
तुम्हारी संतति को भी
है इनको प्रेम करने और
इनका प्रेम पाने के
लिए लड़ रहा हु आज
मैं इस ज़माने से और लड़ता
रहूँगा कल भी क्योकि मैंने
कभी नहीं चाहा पाना प्रेम सभी का !
  

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !