Friday 1 June 2018

अपने अनुराग को शब्दों में उकेरता हु !



अपने अनुराग को शब्दों में उकेरता हु !
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तुम्हारी अंगुलिओं के साथ
अपनी अंगुलिओं को जोड़ कर 
कुछ अव्यक्त भावो को व्यक्त करता हु; 

ठीक वैसे ही जैसे नदी बहती हुई भी 
अपने प्रवाह के भीतर समंदर में 

जा मिलने की वो प्यास भरती है ;
तुम्हारी अंगुलिओं के साथ
अपनी अंगुलिओं को जोड़ कर 
अपने अनुराग को शब्द देता हु;
जिन शब्दों को तुम अपनी आँखों की बजाय 

अपनी महसूसियत से पढ़ ;
मुस्कुराती हो और मैं उस मुस्कराहट 
के प्रतिउत्तर में अपना सबकुछ हा 
सच में अपना सबकुछ तुम्हे सौंप देता हु ! ---------

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !