Sunday, 24 June 2018

कृष्ण पक्ष की रात



कृष्ण पक्ष की रात 

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जिस तरह
चिलचिलाती दुपहरी
को बारिश की कुछ 
नन्ही-नहीं बुँदे भी 
कर देती है रोशन 
ठीक वैसे ही तुम  
कभी यु अचानक से 
आकर पास मेरे इस 
कृष्ण पक्ष की अंधियारी 
रात में लौटा दो 
वो ऊष्मा जो 
तुम्हारी नादानीओं 
की वजह से खो चूका है 
ये हमारा रिश्ता !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !