Friday, 15 June 2018

जज़्बाती दरिया





जज़्बाती दरिया
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एक दरिया मेरे  
महकते जज़्बातों का,
वो उमड़ता है तब  
जब ज़िक्र तेरा मेरे  
कानों से गुज़रता हुआ 
सीधे जा पंहुचता है 
दिल की रसातल में ...
इस जज़्बाती दरिया ने 
कभी तुझे निराश किया हो 
ये भी मुमकिन है ,
क्योंकि तेरे लिए ही
दरिया का बहना अब  
बन गयी है इसकी नियति
पर इतना याद रखना
कंही सुख ना जाये  
ये जज़्बाती दरिया 
तेरी प्यास बुझाते बुझाते,
रह जाए बस इसमें कुछ 
तुम्हारे फेंके पत्थर 
और तुम्हारे तन से 
निकली मटमैली धूल 
और कुछ ना बचे इसमें 
तुम्हारे कुछ अंश के सिवा !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !