Monday, 11 June 2018

देह की देहलीज़



देह की देहलीज़
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ऐसा तो नहीं कह सकता मैं
की किसी ने भी ना चाहा था
मुझे तुमसे मिलने के पहले
हां इतना जरूर पुरे यकीन से
कह सकता हु की किसी को
इस देह की दहलीज़ को ना
लांघने दिया है मैंने तुमसे
प्यार का इकरार करने के बाद
और जब तुम मिली तो ना जाने
किन्यु खुद को रोक ही नहीं पायी
खुद से खुद को ही और तुम कब
उस दहलीज़ को लाँघ अंदर आ गए
पता ही नहीं चला मुझे !    

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !