देह की देहलीज़
-----------------
ऐसा तो नहीं कह सकता मैंकी किसी ने भी ना चाहा था
मुझे तुमसे मिलने के पहले
हां इतना जरूर पुरे यकीन से
कह सकता हु की किसी को
इस देह की दहलीज़ को ना
लांघने दिया है मैंने तुमसे
प्यार का इकरार करने के बाद
और जब तुम मिली तो ना जाने
किन्यु खुद को रोक ही नहीं पायी
खुद से खुद को ही और तुम कब
उस दहलीज़ को लाँघ अंदर आ गए
पता ही नहीं चला मुझे !
No comments:
Post a Comment