Sunday 10 June 2018

एहसास बन गए ज़ज़्बात




एहसास बन गए ज़ज़्बात
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इश्क़ की सारी हदों को 
पार कर जब मैंने उसे उसके 
घर की देहलीज़ को पार करने कहा 
तब उसने मुझे सिखाया कि कैसे 
इश्क़ भी हदों में रहकर किया जा सकता है ;
और मैं निरुत्तर सा खड़ा हु सोचकर की 
अब क्या जवाब दू अपने उन एहसासो को 
जिन्होंने कई बार रोका था मुझे 
ये कह कर की एहसास ही रहने दो 
मत बनाओ हमे अपने ज़ज़्बात नहीं तो 
एक दिन वो न एहसास रह पाएंगे  
ना ही कहलायेंगे ज़ज़्बात तब तुम खुद 
शर्मिंदा हो जाओगे उन दोनों की नज़र में 
जिनसे तुमने कहा था की एक दिन 
तुम दोनों करोगे मुझे सलाम सर उठा कर 
और कहोगे की "राम" तुम्हारे इश्क़ ने 
हमे एहसास से ज़ज़्बात बनाकर हमारा अधूरापन दूर कर दिया !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !