पूर्ण प्रेम का पूरा चाँद _______________
शीतल चाँद और उसके
पिले-पिले चमकते सितारे रात को कितना सजा देते है;
चाँद भी यु न्योछावर करता है
अपनी चांदनी को रात पर
जैसे सहेलियां करती है ;
सोलह श्रृंगार अपनी सहेली का
बनाने उसे दुनिया की सबसे
ख़ूबसूरत दुल्हनिया जिसे
जब देखे उसका दूल्हा तो
बस उसे ही देखता रह जाए;
और रात जब देखती है खुद को
अपने दूल्हे की आँखों में
तब उसे एहसास होता है
चाँद के प्यार में वो
कितनी निखर गयी है ;
और वो सांवली सलोनी सी
रात बोती है अपने प्रेम के
सृजन का बीज अपनी कोख में
तब चाँद रात के प्रेम में होता है
पूर्ण और कहलाता है अपनी
पूर्णिमा का पूरा चाँद !
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