Saturday, 9 June 2018

पूर्ण प्रेम का पूरा चाँद


पूर्ण प्रेम का पूरा चाँद _______________

शीतल चाँद और उसके 
पिले-पिले चमकते सितारे 
रात को कितना सजा देते है; 
चाँद भी यु न्योछावर करता है 
अपनी चांदनी को रात पर 
जैसे सहेलियां करती है ;
सोलह श्रृंगार अपनी सहेली का 
बनाने उसे दुनिया की सबसे 
ख़ूबसूरत दुल्हनिया जिसे 
जब देखे उसका दूल्हा तो 
बस उसे ही देखता रह जाए;   
और रात जब देखती है खुद को 
अपने दूल्हे की आँखों में 
तब उसे  एहसास होता है 
चाँद के प्यार में वो 
कितनी निखर गयी है ; 
और वो सांवली सलोनी सी 
रात बोती है अपने प्रेम के 
सृजन का बीज अपनी कोख में 
तब चाँद रात के प्रेम में होता है 
पूर्ण और कहलाता है अपनी 
पूर्णिमा का पूरा चाँद !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !