Saturday, 2 June 2018

फूलों का सौंदर्य



फूलों का सौंदर्य 
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तुम जब नहीं होते पास मेरे
तो सूरज की चमक भी 
फीकी -फीकी सी लगती है ;
और वो ठहरता भी नहीं 
ज्यादा देर यंहा जाने किन्यु ;
पेड़ों के भीतर की थिरकन भी 
जैसे शिथिल पड़ जाती है ;
फलस्वरूप उन पेड़ों के फूल का 
सौंदर्य भी परवान नहीं चढ़ पाता;  
अंततः जब मैं सिर्फ उनकी खुशबू
को पाना चाहती हु तब भी रह जाती हु; 
बिलकुल खाली हाथ तुम तो नहीं रहते
पास मेरे लेकिन क्या तुम्हे पता है ;
तुम कितना कुछ मेरा अपने साथ 
ले जाते हो की मेरी पूरी की पूरी 
दुनिया ही सुनी-सुनी खाली-खाली 
बेरंग सी हो जाती है क्या तुम्हे पता है; 
तुम जब नहीं होते पास मेरे तो  ....

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !