Wednesday 27 June 2018

वो पागल सा लड़का


वो पागल सा लड़का 

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बुझ चुके सपनो की राख 
छान रहा हु इस उम्मीद में की  
शायद कंही अब भी मिल जाए  
कोई चिंगारी जिसे देकर हवा 
फिर से जलाई जाए सपनो की आग 
बिना सोचे और समझे की राख गर
ठंडी ना हुई है और मिल गयी कोई 
चिंगारी तो आग बाद में जलेगी 
उसके पहले वो चिंगारी जलायेगी  
मेरे ही ये दोनों हाथ जिन्होंने उससे 
किया था वादा जीवन भर थामे रखेंगे
ये मेरे दोनों हाथ उसके दोनों हांथों को 
अब अगर वो आ गयी तो क्या 
जवाब दूंगा मैं उसे की अब नहीं 
थाम सकता मैं तुम्हारे हाथ क्योंकि 
जला लिया है मैंने इनको अपने ही 
सपनो की राख में दबी चिंगारिओं से !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !