Saturday, 2 June 2018

प्रेम के पल



प्रेम के पल 
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क्या बता सकती हो तुम  
मुझे कोई ऐसा पल  
हमारे प्रेम का जिसका 
हमने नहीं किया हो महसूस  ;
और कैसे नहीं करते ये बताओ 
जबकि उस प्रेम के पल में 
कुछ भी तो नहीं होता इस 
शरीर के बाहर सारा कुछ 
तो सिमट आता है ;
अपने इस तन के अंदर 
और समाप्त होते ही उस 
पल के कुछ भी नहीं रहता 
इस शरीर के अंदर
जैसे सारी महसूसियत
निकल कर उड़ जाती है; 
खुले आसमान में अपनी  
पहुंच से बहुत दूर !  
क्या बता सकती हो तुम 
कोई एक ऐसा पल प्रेम का 
जो हमने नहीं किया हो महसूस ?

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !