तीन लफ़्ज़ों का वजन !
लफ्ज़ कह दिए गए थे
कायनात की लगभग
सारी भाषाओँ में ;
उन तीन लफ़्ज़ों के लिए
और सारे लफ्ज़ दरकिनार
कर दिए गए थे ;
होंठों पर सदियों से जमा
इन लफ़्ज़ों का सारा वजन
आज उतार दिया गया था ;
उसके भीतर कोई नाच उठा था
जो नाचता हीं जा रहा था
लगातार...लगातार ;
आज तक वो यूँ ही नाच रहा है
बिना जाने की जिसे बोले गए है
वो तीन लफ्ज़ उसके लिए क्या
मायने रखते है वो लफ्ज़ !
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