Tuesday, 5 November 2019

तीन लफ़्ज़ों का वजन !


तीन लफ़्ज़ों का वजन !

लफ्ज़ कह दिए गए थे
कायनात की लगभग 
सारी भाषाओँ में ;  
उन तीन लफ़्ज़ों के लिए
और सारे लफ्ज़ दरकिनार  
कर दिए गए थे ;
होंठों पर सदियों से जमा 
इन लफ़्ज़ों का सारा वजन 
आज उतार दिया  गया था ;
उसके भीतर कोई नाच उठा था
जो नाचता हीं जा रहा था
लगातार...लगातार ;
आज तक वो यूँ ही नाच रहा है
बिना जाने की जिसे बोले गए है
वो तीन लफ्ज़ उसके लिए क्या
मायने रखते है वो लफ्ज़ !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !