Sunday, 3 November 2019

मन और मनन !


मन और मनन !

मेरी आँखों की नमी
तुम्हारी आँख में साफ 
साफ़ झलकती है ;
तुम ये बताओ कि 
तुम्हारी आँख क्यों 
नम नहीं हो पाती है ;
इस बात को मेरा मन 
और मनन दोनों अच्छे 
से समझता है ;
पर मेरा ये दिल इस 
हकीकत को फिर भी 
क्यों नहीं स्वीकार 
करता है !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !