ईश सा मन !
सीढ़ी-दर-सीढ़ी वो
मेरे दिल में उतरी है ;
जैसा मैंने सोचा था ठीक
वैसा ही उसका मन है ;
तभी तो लगता है जैसे
ये जज्बा मेरा उसका है ;
सागर में बून्द के मानिंद
प्यार उसका बरसता है ;
मैंने देखा है उसका दिल
बिलकुल ईश के जैसा है ;
उसकी झील सी आँखों में
डूबे सारे जज्बों पर अब
हक एक सिर्फ मेरा है ;
इन भीगते बरसते मौसमों
में दिल उसका भी तड़पता है ;
गवाह है मेरी प्यास अभी
हमारा मिलन भी तो होना है !
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