Sunday, 24 November 2019

मन मंदिर !


मन मंदिर !

मन के इसी मंदिर में
शिवाया और भागीरथी
बहती है ;  
मन के इसी मंदिर में
दुनिया के सभी दुर्लभ
पुष्प भी खिलते है ; 
मन के इसी मंदिर में
सह्दुल पंछी भी मौजूद  
रहते है ; 
मन के इसी मंदिर में
नौ रंग के पंखों वाली 
पिट्टा चिड़िया भी 
चहचहाती है ;  
मन के इसी मंदिर में
सृष्टि की सारी कराहें 
बसती है ;  
मन के इसी मंदिर में 
खुशियों की घण्टिया 
भी बजती है ;
मन के इसी मंदिर में 
चीर प्रतीक्षित प्रेम भी 
प्रकट होता है !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !