रात आती है !
मेरी रातें तो
गुमनाम होती है ;
दिन मेरे लेकिन
तेरे नाम होते है ;
मैं जीता हूँ कुछ
इस तरह की मेरा
हर एक लम्हा तेरे
नाम होता है ;
मुझे सुलाने के
खातिर रात तो
आती है ;
मगर मैं सो नहीं
पाता हूँ पर रात
सो जाती है ;
पूछने पर दिल
से मेरे आवाज़
ये आती है ;
आज याद करो
उसे जो तुम्हारी
नींद चुराती है ;
ये सिलसिला तो
सालों से चल रहा है ;
रात आती है और
आकर चली जाती है !
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