Saturday, 16 November 2019

रात आती है !


रात आती है !

मेरी रातें तो 
गुमनाम होती है ; 
दिन मेरे लेकिन 
तेरे नाम होते है ; 
मैं जीता हूँ कुछ 
इस तरह की मेरा 
हर एक लम्हा तेरे 
नाम होता है ; 
मुझे सुलाने के 
खातिर रात तो 
आती है ; 
मगर मैं सो नहीं 
पाता हूँ पर रात 
सो जाती है ;
पूछने पर दिल 
से मेरे आवाज़ 
ये आती है ; 
आज याद करो 
उसे जो तुम्हारी 
नींद चुराती है ; 
ये सिलसिला तो 
सालों से चल रहा है ;
रात आती है और 
आकर चली जाती है ! 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !