Friday, 15 November 2019

लौटाती है बचपन !



वो जो आज भी खुद में सहेजे है 
हम सब का सूंदर सा बचपन ;

वो जो हम सब को प्रेरित करती है 
जीने को अपना सूंदर सा बचपन ; 

वो जो आज भी अपने व्यवहार में 
शामिल रखती है सूंदर सा बचपन ;

वो जो सहेज कर तुम्हारा तुम अपनी 
कोख में तुम्हे लौटती है सूंदर सा बचपन ;

वो जिसकी बदौलत आज तुम्हारी अंगुली 
पकड़कर कर चल रहा है तुम्हारा बचपन ;

वो जिसने दिया है तुम्हे ये मौका की 
तुम जी सको फिर से अपना वो बचपन ;

वो जो हमें कई बार मौका देती है
धूम धाम से मनाने को अपना बचपन ;

वो जिसे हम सब माँ कहते है 
वो ही तो है जो लौटाती है बचपन !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !