Sunday, 17 November 2019

तुम मेरी हो !


तुम मेरी हो !

तुम आँखों में देखो 
मेरी और खुद को 
इन्ही में खो जाने दो ;

तुम बाँहों में आओ 
मेरी और खुद को 
बहक जाने दो ;

तुम दिल में आओ 
मेरे और खुद को इसी 
में बस जाने दो ;

तुम मेरी हो और 
मेरी ही रहोगी सदा 
आज सभी से ये कह दो ;
  
तुम अब कुछ इस 
कदर चाहो मुझे और 
खुद को मुझ पर फनाह 
हो जाने दो ;

प्रखर है बस एक 
तुम्हारा वो चाहेगा 
बस एक तुम्ही को !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !