Saturday, 9 November 2019

हाँ हाँ ना ना !


हाँ हाँ ना ना !

जब रुकने लगे सांसें मेरी 
तो तुम छोड़ छाड़ कर सारे 
काम मेरे पास चली आना ;
अपनी गोद में रख कर सर
मेरा मुझ को तुम सुला लेना ;
उन पलों को तुम मेरी तन्हाईयों 
की सारी दास्ताँ सुना लेने देना ;
उस वक़्त तुम बिलकुल भी मत 
रोना वरना मेरी भी ऑंखें भर आएंगी ;
बस एक बार तुम मुस्कुराकर 
उस वक़्त मेरी हर बात मान लेना ;
कम से कम उस वक़्त तो तुम 
मेरे कहने पर हाँ हाँ बिना किसी 
ना ना के कह तो हां हां देना ;  
जब रुकने लगे सांसें मेरी 
तो तुम छोड़ छाड़ कर सारे 
काम मेरे पास चली आना !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !