Friday, 29 November 2019

ऐ ज़िन्दगी !


ऐ ज़िन्दगी !

ऐ ज़िन्दगी सुन 
इतनी सी गुज़ारिश 
तू मेरी ! 

अब कहीं दूर ना जा 
कर दे रोशन इन सियाह 
रातों को तू मेरी !

और कर दे शीतल से 
ठन्डे मेरे तपते दिनों को 
तू मेरे ! 

फिर आकर पास मेरे 
ले ले अपने आगोश 
के घेरे में तू मुझे !  

और ले चल इस दुनिया 
से बिलकुल दूर तू 
मुझे ! 

ऐ ज़िन्दगी आ मेरी 
आँखों में बस जा और 
अपनी आँखों में बसा ले 
फिर से तू मुझे !

मुझसे दूर ना जाना 
इतनी सी गुज़ारिश है
तुझ से मेरी !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !