Saturday 30 November 2019

चले चलो !


चले चलो !

तंहा मेरे कदम अब उठते नहीं , 
साथ तुम मेरे अब चले चलो ; 
नींद भी मुझे अब आ रही है ,
ख़्वाब मेरे तुम अब पलो पलो ;
महबूबा मेरी बहुत हसीन है ,
चाँद तुम अब जलो जलो ;
हो वो अब मेरे इतने करीब , 
बर्फ तुम अब गलो गलो ;
देखता हूँ अब मैं एक तुम्हे , 
प्रीत तुम मेरी बढ़ी चलो ;
जुड़ा अब कभी ना होंगे हम ,
ए वक़्त तुम अब टलो टलो ;
दूरियां अब सिमटने वाली है ,
हसरतों तुम अब फूलो फलो ;
प्रेम दीप 'प्रखर' अब जला रहा ; 
प्रीत 'रज्ज" मेरी अब मिलो मिलो !   

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !