Tuesday, 9 April 2019

वो तुमसे दूर किन्यु है ?

वो तुमसे दूर किन्यु है ?

रात अँधेरी काली-काली 
आँख मिलाकर मुझसे 
ये पूछती है;

वो तुमसे दूर किन्यु है ?

राह सुनसान वीरानी सी 
तेज़ हवाएं हिलोरे ले ले 
कर पूछती है;
  
वो तुमसे दूर किन्यु है ?

एक ओर से धरती की 
गहराई दूसरी ओर से 
आकाश का विशाल 
आकार पूछता है;

वो तुमसे दूर किन्यु है ?

इतरा-इतरा कर मेरे ही 
अश्को की बुँदे मुझे भिगो
-भिगो कर पूछ रही है;

वो तुमसे दूर किन्यु है ?

सूखे पत्तों की उड़ती 
लड़ियाँ सरसराहट कर 
पूछती है मुझसे;

वो तुमसे दूर किन्यु है ?

और तुझे अपने पास 
बुलाने की मेरी अपनी 
ही चाहत मुझे रुला-रुला 
कर पूछती है; 

वो तुमसे दूर किन्यु है ?

अब तुम ही बताओ इन 
सब से मैं क्या कहु ताकि 
ये मुझे मेरी आस के साथ 
चैन से जीने दें !  

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !