Monday, 29 April 2019

तुम्हारे हाथों को थामकर !


तुम्हारे हाथों को थामकर ! 

एक दिन तुम्हारे हाथो को,
अपने हाथों में थामकर मैं;  

तुम्हारे सारे दुःख और दर्द को,  
सहर्ष स्वीकार अपना लूंगा मैं; 

एक दिन तुम्हारे धड़कते सीने, 
पर अपना सर रख कर मैं;  

तुम्हारी धड़कनो को अपने,
सारे के सारे सुर दे दूंगा मैं; 

एक दिन तुम्हारी पलकों को, 
अपने होंठो से छूकर अपने सारे, 

के सारे ख्वाब तुम्हारी आँखों, 
में ही बो दूंगा मैं; 

एक दिन तुम्हे अपने गले लगाकर, 
अपने सारे एहसास मैं तुम्हे दे दूंगा;  

एक दिन तुम्हारी आँखों में देखकर, 
कह दूंगा प्यार तो एक तुम्हीं से करता हूँ मैं;   

और अपना सारा का सारा विश्वास, 
उस दिन तुम्हे ही दे दूंगा मैं !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !