तुम्हारे हाथों को थामकर !
एक दिन तुम्हारे हाथो को,
अपने हाथों में थामकर मैं;
तुम्हारे सारे दुःख और दर्द को,
सहर्ष स्वीकार अपना लूंगा मैं;
एक दिन तुम्हारे धड़कते सीने,
पर अपना सर रख कर मैं;
तुम्हारी धड़कनो को अपने,
सारे के सारे सुर दे दूंगा मैं;
एक दिन तुम्हारी पलकों को,
अपने होंठो से छूकर अपने सारे,
के सारे ख्वाब तुम्हारी आँखों,
में ही बो दूंगा मैं;
एक दिन तुम्हे अपने गले लगाकर,
अपने सारे एहसास मैं तुम्हे दे दूंगा;
एक दिन तुम्हारी आँखों में देखकर,
कह दूंगा प्यार तो एक तुम्हीं से करता हूँ मैं;
और अपना सारा का सारा विश्वास,
उस दिन तुम्हे ही दे दूंगा मैं !
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