Friday 12 April 2019

सुख-सुकून की परिभाषा !

सुख-सुकून की परिभाषा !

सुख और सुकून की, 
परिभाषा तो वही बयां कर सकता है;

जिसने दुःख को अपने, 
हृदयतल में बर्षों तक सहेजा हो;  

पीड़ाएँ खुद सह कर संयम, 
को अपने ही कलेजे में पोसा हो; 

अपने बेकरारी के साथ साथ, 
चल घुटनो पर सीखा खड़े होना हो;   

और बरसो अपने कांधो को सूना रख, 
किसी घने केशु से भरे सर का इंतज़ार किया हो; 

फिर एक दिन अचानक वो सर, 
उसके उस सुने कांधे पर आ टिका हो; 
  
और दोनों साथ ज़िंदगी, 
बिताने के खयाल बुनने लगे हों; 

और हाथों में हाथ डाल, 
उरमाओं का आदान प्रदान करने लगे हों;   

सुख और सुकून की, 
परिभाषा तो वही बयां कर सकता है;

जिसने दुःख को अपने, 
हृदयतल में बर्षों तक सहेजा हो !  

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !