Wednesday 17 April 2019

मैं गुजरता जा रहा हूँ !

मैं गुजरता जा रहा हूँ ! 
सुनो...
यूँ ही रोज, 
तेरे इंतज़ार में;
जो... 
ये दिन उगता है,
वो कटता ही नहीं;
जो... 
रात आती है,
वो गुजरती ही नहीं;
परन्तु...
जो निरंतर, 
कटता और गुजरता 
जा रहा है, वो सिर्फ और 
सिर्फ मैं हूँ;
ये...
सब हो रहा है, 
तुम्हारे होते हुए,
और तुम्हारे ही इंतज़ार में;
मगर...
इस महसूसियत का, 
दर्द जब हद से बढ़ जाता है;
तब...
मैं रोता हूँ,
तब भी दर्द जब 
वो कम होता नही;
फिर...
उस दर्द को कम करने को, 
जब उस दर्द पर ही हँसता हूँ;
तब...
दर्द और बढ़ जाता है,
परन्तु इन सब के बीच जो,
लगातार बढ़ता जा रहा है वो, 
तेरा इंतज़ार और मेरा प्यार है;  
और... 
जो निरंतर कटता और गुजरता जा 
रहा है; वो सिर्फ और सिर्फ मैं हूँ !  

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !